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Saturday, April 16, 2016

मरूगंगा लूणी नदी से खिलवाड़,बिछा है निजी पाईप लाईनो का जाल

डार्क जोन में खूूदे अवैध बोरवेल,पाईप लाईनों से पानी पहुंचता है औधोगिक क्षेत्र में
पत्रकार ओमप्रकाश सोनी की विशेष ग्राउंड रिपोर्ट 
बालोतरा। एक ओर जहा बालोतरा क्षेत्र में बजरी खनन के नाम पर माफिया मुरड़ का खनन कर लुणी नदी को खोखला कर रहैं हैं वही दूसरी ओर लुणी नदी के पूरी तरह से सूख चुके बेसीन में से जल माफिया अंधाधुंध जल दोहन कर लुणी नदी को बर्बाद करने पर तूले हैं। लुणी नदी में सांकरणा, बिठुजा, गोंलिया, माजीवाला गांवो में जल माफिया जल का अवैध दोहन कर पानी को लुणी नदी में पाईप लाईने बिछाकर ओद्योगिक क्षेत्र में बेचकर चांदी काट रहै हैं। लुणी नदी की तलहटी में करीब दो दर्जन से ज्यादा अवैध पाईप लाईने गूजर रही हैं। उधर लुणी नदी में निजी पाईप लाईने डालने की शिकायत दर्जनो बार बाड़मेर से लेकर जयपुर तक की जा चूकी है लेकिन नतीता सिफर रहा हैं।
डार्क जोन में जल दोहन
बालोतरा क्षेत्र के बिठूजा, आसोतरा, गोलिया,सांकरणा, माजीवाला सहित लुणी नदी के  आस पास स्थित गावो में लगातार घटते जलस्तर को देखते हुए प्रशासन ने इन क्षेत्रो को डार्क जोन घोषित कर रखा हैं। इन गांवो में किसानो को तो कृषि के लिए भी नये कनेक्षन नही दिए जा रहै है लेकिन दूसरी ओर पानी का कारोबार करने वाले लोग बिना अनुमती के डार्क जोन में धड़ल्ले से ट्युब वेल खोद रहै है ओर विद्युत विभाग से कृषि का कनेक्षन लेकर विद्युत विभाग को भी गूमराह कर रहै हैं। जल माफिया अवैध रूप से चोबीसो घंटे जल दोीन कर रहै है। ये बोरवेल सीधे ओद्योगिक क्षेत्र की ओर जाने वाली अवैध पाईप लाईनो से जुड़े है। एक अनूमान के तोर पर प्रतिदिन एक बोरवेल से करोड़ो लीटर पानी को दोहन कर उसे बालोतरा के ओद्योगिक ईकाईयो में बेचकर पानी का कारोबार करने वाले लाखो रूपय कमा रहै है। लुणी नदी में करीब दो दर्जन से भी ज्यादा अवैध बोरवेल खुदे हुए हैं।

लुणी नदी के प्राकृतिक रास्ते से छेड़छाड़
लुणी नदी के भु गर्भ को छलनी करने के साथ ही जल माफिया नदी में पाईप लाईने बिछाने के लिए जेसीबीे से नदी में खाईया खोदते है ओर पाईप डालने के बाद काम में नही आने वाली खाईयो को खूला ही छोड़ दिया जाता है  जिससे लुणी नदी के मूल प्राकृतिक बहाव रास्ते अवरूद्ध हो रहै है। लुणी नदी पर बने दोनो पूलो के समीप जल माफियाओ ने गहराई तक खोदकर पाईप लाईने डाली है जो दोनो पूलो के लिए खतरे का सबब बन सकते है।
खेतो में कृषि कनेक्शन ओर बेच रहै है पानी 
बालोतरा उपखंड में लुणी नदी के किनारे बोरवेल खोदकर पानी बेचने वाले लोगो ने खेतो व कृषि फार्मो पर कृषि कनेकशन ले रखै है । कृषि कनेकशन से ही वे प्रतिदिन चोबीसो घंटै जल दोहन कर रहै हैं। पानी को बेचने के कारण पानी बेचने वालो के ये कनेकशन व्यवसासिक होने चाहिए लेकिन कृषि की दरे कम होने के कारण जल व्यापारी व्यवसाय के लिए विद्युत विभाग को गुमराह कर रहै हैं। पानी बेचने वाले लोग कम दरो से पानी का बिल  भर रहै है जिससे विद्युत विभाग को भी चूना लग रहा हैं।
आयकर व ब्रिकीकर का भी चूना
बालोतरा में पिछले 10 से 15 वर्षो से पाईप लाईनो व टेंकरो के माध्यम से पानी बेचने का धंधा जारी हैं। पानी का बेचान होने के कारण ये धंधा भी व्यापार में आता हैं। शहर में दो दर्जन से भी ज्यादा लोग पानी को बेचने का काम करते है लेकिन अभी तक ये लोग आय कर व ब्रिकी कर नही भर रहै हैं। आय कर व ब्रिकी कर की चोरी से दोनो ही विभागो को लाखो का चूना लग रहा हैं।
किसानो में रोष व्याप्त
डार्क जोन में अंधाधुंध जल दोहन से किसानो में आने वाले भविष्य को लेकर चिंता व्याप्त हैं। जल के व्यवसाई करण को रोकने के लिए काश्तकार संघर्ष समीती कई बार आंदोलन भी कर चूकी है लेकिन प्रशासन की कुंभीकर्णी नींद नही खूल रही हैं। प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा आने वाले समय में किसानो को भुगतना पड़ेगा।
जल कारोबारी कहते है जिला प्रशासन की हैं अनुमती
लुणी नदी में डार्क जोन में बोरवेल खोदकर पानी बेचने का कारोबार करने वाले लोगो का कहना है कि लुणी नदी में पाईप लाईन डालने के लिए जिला प्रशासन ने अनुमती ले रखी हैं। सुप्रीम कोर्ट के फेसलो के अनुसार किसी भी प्राकृतिक संपदा के साथ छेड़ छाड़ नही की जा सकती हैं। उधर पिछले लंबे समय से क्षेत्रवासी लगातार लुणी नदी में हो रहै जल दोहन को रोकने की मांग कर रहै है परंतु जिला व उपखंड प्रशासन के कानो पर जु तक नही रेंग रही हैं। प्रशासन की लापरवाही से लुणी नदी का भुगर्भ स्तर घटता जा रहा है जो आने वाले समय में पेयजल संकट का सबब बन जायेगा।
काश्तकार अधिनियम की आड़ में हो रहा है गड़बड़झाला
लूणी नदी में पाइप लाइन डालने के लिए जल विक्रेताओ ने किसी प्रकार की अनुमति नही ली है। जिला प्रसाशन व् राजस्व विभाग ने काश्तकार अधिनियम की आड़ में एक दो पाइप लाइन नदी में से गुजरने की अवैध अनुमति जरूर दी है। लूणी नदी में लंबे समय से अवैध पाइप लाइनों का जाल बिछा है परंतु जानकारी के बावजूद प्रसाशन मौन है।

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