भगाराम पंवार
बालोतरा। मानसून में बढ़ती देरी से हरी सब्जियों के भाव दोगुने हो गए हैं। इससे लोगों को मजबूरन बजट में कटौती करनी पड़ रही है। लोग पहले से आधी सब्जी से ही काम चला रहे हैं। भावों में अधिक बढ़ोतरी से मध्यम व कमजोर परिवारों की हालत खस्ता हो गई है। वहीं कमजोर बिक्री से सब्जी विक्रेताओं की ग्राहकी व कमाई प्रभावित हुई है। मानसून में देरी के कारण एक पखवाड़े में सब्जियों के भाव बढक़र करीब दोगुने होने से परिवारों का घरेलू बजट बिगड़ गया है। वहीं आमजन का जायका भी बेस्वाद हो गया है। घरों में अब इनी-गुनी सब्जियां जरूरत से आधी ही पहुंच रही है। जिससे लोगों का जायका ही बिगड़ गया है।
आसमान छू रहे भाव
बाजार में वर्तमान में सब्जियां इस दर से बिक रही है। प्रतिकिलों के भाव (पूर्व-अब) भिण्डी 30-50, टिण्डी 20-40, तोरई 50-100, आलू 16-22, प्याज 15-25, नीबू 30-60, मिर्ची 20-40, घीया 15-30, ककड़ी 25-40, टमाटर 15-30, ग्वारफली 35-60, करेला 20-50, पालक 25-40, शिमला मिर्ची 30-50, खीरा ककड़ी 30-50 रूपए , हरा धनिया 100 रूपये।
ऊंचे भावों से बढ़ी मुसीबते
सब्जियों के भावों में करीब दुगुनी बढ़ोतरी होने से घर का बजट बुरी तरह से बिगड़ गया है। जिन परिवारों में कई आयोजन होने है ऐसे में सब्जियों के ऊंचे भावों से आयोजकों के पसीने छूट रहे हैं, क्योंकि आयोजनों में सैकड़ों लोगों के सम्मलित होने पर कई क्ंिवटल सब्जियो की जरूरत रहती है। ऊंचे भावों से इनकी हालत खस्ताहाल हो गई है।
बिगड़ा घर का बजट
सब्जियों के भावों में भारी बढ़ोतरी से दिक्कत बढ़ गई है। सब्जियो के भाव सुनकर ही एक बार तो हर कोई हक्का-बक्का रह जाता है। ऐसे में जरूरत से आधी ही सब्जियां खरीद कर काम चलाते हैं। भावों में गिरावट नहीं हुई तो मुसीबतें और अधिक बढ़ जाएगी।
श्रीमती पुष्पा देवी, गृहिणी
कारोबार हो रहा है प्रभावित
सब्जियों के ऊंचे भावों पर अब खरीदार भाव सुनकर ही बिदकते हैं। वापिस आने की बात कहकर लौटते नहीं है। वहीं जरूरत से आधी ही सब्जियां खरीदते हैं। जिस पर अब कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हो रखा है।
लक्ष्मण केवलचंद माली, सब्जी कारोबारी
बालोतरा। मानसून में बढ़ती देरी से हरी सब्जियों के भाव दोगुने हो गए हैं। इससे लोगों को मजबूरन बजट में कटौती करनी पड़ रही है। लोग पहले से आधी सब्जी से ही काम चला रहे हैं। भावों में अधिक बढ़ोतरी से मध्यम व कमजोर परिवारों की हालत खस्ता हो गई है। वहीं कमजोर बिक्री से सब्जी विक्रेताओं की ग्राहकी व कमाई प्रभावित हुई है। मानसून में देरी के कारण एक पखवाड़े में सब्जियों के भाव बढक़र करीब दोगुने होने से परिवारों का घरेलू बजट बिगड़ गया है। वहीं आमजन का जायका भी बेस्वाद हो गया है। घरों में अब इनी-गुनी सब्जियां जरूरत से आधी ही पहुंच रही है। जिससे लोगों का जायका ही बिगड़ गया है।
आसमान छू रहे भाव
बाजार में वर्तमान में सब्जियां इस दर से बिक रही है। प्रतिकिलों के भाव (पूर्व-अब) भिण्डी 30-50, टिण्डी 20-40, तोरई 50-100, आलू 16-22, प्याज 15-25, नीबू 30-60, मिर्ची 20-40, घीया 15-30, ककड़ी 25-40, टमाटर 15-30, ग्वारफली 35-60, करेला 20-50, पालक 25-40, शिमला मिर्ची 30-50, खीरा ककड़ी 30-50 रूपए , हरा धनिया 100 रूपये।
ऊंचे भावों से बढ़ी मुसीबते
सब्जियों के भावों में करीब दुगुनी बढ़ोतरी होने से घर का बजट बुरी तरह से बिगड़ गया है। जिन परिवारों में कई आयोजन होने है ऐसे में सब्जियों के ऊंचे भावों से आयोजकों के पसीने छूट रहे हैं, क्योंकि आयोजनों में सैकड़ों लोगों के सम्मलित होने पर कई क्ंिवटल सब्जियो की जरूरत रहती है। ऊंचे भावों से इनकी हालत खस्ताहाल हो गई है।
बिगड़ा घर का बजट
सब्जियों के भावों में भारी बढ़ोतरी से दिक्कत बढ़ गई है। सब्जियो के भाव सुनकर ही एक बार तो हर कोई हक्का-बक्का रह जाता है। ऐसे में जरूरत से आधी ही सब्जियां खरीद कर काम चलाते हैं। भावों में गिरावट नहीं हुई तो मुसीबतें और अधिक बढ़ जाएगी।
श्रीमती पुष्पा देवी, गृहिणी
कारोबार हो रहा है प्रभावित
सब्जियों के ऊंचे भावों पर अब खरीदार भाव सुनकर ही बिदकते हैं। वापिस आने की बात कहकर लौटते नहीं है। वहीं जरूरत से आधी ही सब्जियां खरीदते हैं। जिस पर अब कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हो रखा है।
लक्ष्मण केवलचंद माली, सब्जी कारोबारी
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