ठेकेदार ने उठा लिया भुगतान, नगर परिषद के अधिकारी मौन
रिपोर्ट @ भगाराम पंवार के साथ ओमप्रकाश सोनी
बालोतरा। नगर परिषद में घोटालों के आरोप लगते रहे है लगेंगे भी भला क्यों नहीं क्योंकि कार्यें में गुणवत्ता को ताक पर रखकर घपले किए जाते है और ठेकेदारों को उनका भुगतान भी कर दिया जाता है। आज हम सबसे पहले वर्ष 2015 के 13 मई को एक टैंडर में वार्ड संख्या 31 में गनी भाई की फैक्ट्री से ट्रीटमेंट प्लांट बिठूजा रोड़ तक नवीन डामरीकरण का कार्य करने के लिए निविदाएं आमंत्रित की गई। इस स्थान पर करीब 6 माह पहले कार्य भी पूर्ण हो गया। अब हम आपकों इस सडक़ की हकीकत भी बताएंगे जो चौंकाने वाली है।
1 किलोमीटर सडक़ का डामरीकरण,खर्चा 25 लाख
यह सडक़ मात्र एक किलोमीटर तक बनी हुई है और इसका टैंडर 25 लाख का है। यह सडक़ आज जाकर देखें तो जगह जगह से बिखर गई है डामर उखड़ गया है। इस सडक़ को बनाने में 25 लाख खर्च हो गए यह बात किसी के भी हजम नहीं होती है। और वो भी मात्र 6 माह में हीं उधड़ गई।
ठेकेदार ने जमकर किया फर्जीवाड़ा
इस सडक़ को बनाने में जिस ठेकेदार फर्म को वर्क ऑर्डर दिया गया था उसने जमकर भ्रष्टाचार किया है। इस सडक़ की जांच की जाए तो लाखों का घोटाला सामने आ सकता है। गौर करने वाली बात यह भी है कि इतना बड़ा घोटाला हो गया और अधिकारियों को इस बात की भनक तक नहीं है यह बात कुछ हजम नहीं होती है।
कैसे हुआ बिल पास
जी शेडय्ूल के आधार और गुणवत्ता के आधार पर तो इस सडक़ का भुगतान ठेकेदार को कोई भी हालत में संभव नहीं था। सवाल यहां भी उठ रहे है कि अधिकारियों ने बगैर जांच पड़ताल और उसकी गुणवत्ता को जांचे बिना भुगतान कैसे किया।
रिपोर्ट @ भगाराम पंवार के साथ ओमप्रकाश सोनी
बालोतरा। नगर परिषद में घोटालों के आरोप लगते रहे है लगेंगे भी भला क्यों नहीं क्योंकि कार्यें में गुणवत्ता को ताक पर रखकर घपले किए जाते है और ठेकेदारों को उनका भुगतान भी कर दिया जाता है। आज हम सबसे पहले वर्ष 2015 के 13 मई को एक टैंडर में वार्ड संख्या 31 में गनी भाई की फैक्ट्री से ट्रीटमेंट प्लांट बिठूजा रोड़ तक नवीन डामरीकरण का कार्य करने के लिए निविदाएं आमंत्रित की गई। इस स्थान पर करीब 6 माह पहले कार्य भी पूर्ण हो गया। अब हम आपकों इस सडक़ की हकीकत भी बताएंगे जो चौंकाने वाली है।
1 किलोमीटर सडक़ का डामरीकरण,खर्चा 25 लाख
यह सडक़ मात्र एक किलोमीटर तक बनी हुई है और इसका टैंडर 25 लाख का है। यह सडक़ आज जाकर देखें तो जगह जगह से बिखर गई है डामर उखड़ गया है। इस सडक़ को बनाने में 25 लाख खर्च हो गए यह बात किसी के भी हजम नहीं होती है। और वो भी मात्र 6 माह में हीं उधड़ गई।
ठेकेदार ने जमकर किया फर्जीवाड़ा
इस सडक़ को बनाने में जिस ठेकेदार फर्म को वर्क ऑर्डर दिया गया था उसने जमकर भ्रष्टाचार किया है। इस सडक़ की जांच की जाए तो लाखों का घोटाला सामने आ सकता है। गौर करने वाली बात यह भी है कि इतना बड़ा घोटाला हो गया और अधिकारियों को इस बात की भनक तक नहीं है यह बात कुछ हजम नहीं होती है।
कैसे हुआ बिल पास
जी शेडय्ूल के आधार और गुणवत्ता के आधार पर तो इस सडक़ का भुगतान ठेकेदार को कोई भी हालत में संभव नहीं था। सवाल यहां भी उठ रहे है कि अधिकारियों ने बगैर जांच पड़ताल और उसकी गुणवत्ता को जांचे बिना भुगतान कैसे किया।

No comments:
Post a Comment