रिपोर्ट @ ओमप्रकाश सोनी 9414532417
बालोतरा। पिछले लंबे समय से मरूगंगा लूणी नदी के रितते जल को अंधाधुन दोहन कर अवैध रूप से टेक्सटाइल उद्योग को बेचकर चांदी काट रहे जल कारोबारियों ने अब लुणी नदी में आये पानी को भी नदी छोड़ा है। लूणी नदी में हुई पानी की आवक से जल कारोबारियों की बांछे खिल गयी है। लूणी नदी के आस पास डार्क जोन घोषित इलाको में जल कारोबारियों ने अवैध रूप से कृषि विद्युत कनेक्शन लेकर ट्यूब वेल खोद रखे है।
उन ट्यूब वेल से चौबीसो घंटे जल दोहन कर पानी को रिको औद्योगिक क्षेत्र में पहुचाने के लिए जल विक्रेताओ ने लूणी नदी के अंदर निजी पाइप लाइनों का जाल बिछा दिया है। लगातार जल दोहन होने से नदी के आस पास भूगर्भीय जल स्तर रसातल चला गया है। शहर को जलापूर्ति करने में जलदाय विभाग को दिक्कत हो रही है। लूणी नदी में इस बार हुई बरसाती पानी की आवक के बाद जल कारोबारीं लूणी नदी के किनारे पानी की मोटर व् पम्प लगाकर नदी के पानी को अपने वाटर प्लांट तक लिफ्ट कर रहे है। बिठूजा गांव से लेकर बालोतरा तक लूणी नदी में करीब १० स्थानों पर चौबीसो घण्टे पम्प लगाकर नदी के पानी का दोहन कर उस पानी को जल कारोबारी औद्योगिक क्षेत्र को बेच रहे है।
जल विक्रेता लूणी नदी के बरसाती पानी को बिना फिल्टर किये ही शहर में पिने के लिए भी आपूर्ति कर रहे है। नदी के किनारे स्थित गावो में पेयजल की किल्लत से जूझ रहे ग्रामीण ने नदी के पानी को टेक्सटाइल उद्योग में बेचने से रौष व्याप्त है। ग्रामीणों ने नदी के पानी को बेचने की शिकायत प्रसाशन को भी की लेकिन प्रसाशन जल विक्रेताओ के प्रभाव में आकर कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है। इस मामले को लेकर जब पचपदरा तहसिलदार भगीरथ चौधरी से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि नदी के पानी के उपयोग लेने के सम्बन्ध में ऐसा कोई विधान नहीं है कि इसको रोका जा सके।
लेकिन सूत्रो के अनुसार नदी का पानी केवल खेती व् पिने सहित निर्माण कार्य में काम लेने पर कोई पाबन्दी नहीं है पर प्राकृतिक स्रोत मसलन नदी आदि के पानी को बेचना व् व्ययसायिक उपयोग लेना नियमानुसार गलत है। लेकिन स्थानीय प्रसाशन लंबे समय से जल कारोबारियों को जल के अवैध दोहन को शह दे रहा है। अभी भी लूणी नदी के बरसाती पानी को बेचने के खेल में कार्यवाही करने से प्रसाशन बच रहा है।
बालोतरा। पिछले लंबे समय से मरूगंगा लूणी नदी के रितते जल को अंधाधुन दोहन कर अवैध रूप से टेक्सटाइल उद्योग को बेचकर चांदी काट रहे जल कारोबारियों ने अब लुणी नदी में आये पानी को भी नदी छोड़ा है। लूणी नदी में हुई पानी की आवक से जल कारोबारियों की बांछे खिल गयी है। लूणी नदी के आस पास डार्क जोन घोषित इलाको में जल कारोबारियों ने अवैध रूप से कृषि विद्युत कनेक्शन लेकर ट्यूब वेल खोद रखे है।
उन ट्यूब वेल से चौबीसो घंटे जल दोहन कर पानी को रिको औद्योगिक क्षेत्र में पहुचाने के लिए जल विक्रेताओ ने लूणी नदी के अंदर निजी पाइप लाइनों का जाल बिछा दिया है। लगातार जल दोहन होने से नदी के आस पास भूगर्भीय जल स्तर रसातल चला गया है। शहर को जलापूर्ति करने में जलदाय विभाग को दिक्कत हो रही है। लूणी नदी में इस बार हुई बरसाती पानी की आवक के बाद जल कारोबारीं लूणी नदी के किनारे पानी की मोटर व् पम्प लगाकर नदी के पानी को अपने वाटर प्लांट तक लिफ्ट कर रहे है। बिठूजा गांव से लेकर बालोतरा तक लूणी नदी में करीब १० स्थानों पर चौबीसो घण्टे पम्प लगाकर नदी के पानी का दोहन कर उस पानी को जल कारोबारी औद्योगिक क्षेत्र को बेच रहे है।
जल विक्रेता लूणी नदी के बरसाती पानी को बिना फिल्टर किये ही शहर में पिने के लिए भी आपूर्ति कर रहे है। नदी के किनारे स्थित गावो में पेयजल की किल्लत से जूझ रहे ग्रामीण ने नदी के पानी को टेक्सटाइल उद्योग में बेचने से रौष व्याप्त है। ग्रामीणों ने नदी के पानी को बेचने की शिकायत प्रसाशन को भी की लेकिन प्रसाशन जल विक्रेताओ के प्रभाव में आकर कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है। इस मामले को लेकर जब पचपदरा तहसिलदार भगीरथ चौधरी से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि नदी के पानी के उपयोग लेने के सम्बन्ध में ऐसा कोई विधान नहीं है कि इसको रोका जा सके।
लेकिन सूत्रो के अनुसार नदी का पानी केवल खेती व् पिने सहित निर्माण कार्य में काम लेने पर कोई पाबन्दी नहीं है पर प्राकृतिक स्रोत मसलन नदी आदि के पानी को बेचना व् व्ययसायिक उपयोग लेना नियमानुसार गलत है। लेकिन स्थानीय प्रसाशन लंबे समय से जल कारोबारियों को जल के अवैध दोहन को शह दे रहा है। अभी भी लूणी नदी के बरसाती पानी को बेचने के खेल में कार्यवाही करने से प्रसाशन बच रहा है।
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