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Friday, March 8, 2019

पढ़े क्या कहा एनजीटी ने बालोतरा के टेक्सटाइल उद्योग के संदर्भ में

@ओमप्रकाश सोनी
बालोतरा
बालोतरा के टेक्सटाइल उद्योगों से कृषि, खेती व पर्यावरण संपदा को हुए नुकसान की भरपाई के लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने राज्य सरकार पर 30 करोड़ का जुर्माना किया है।
पढ़े क्या कहा एनजीटी ने-
एनजीटी के फैसले में मुख्य पीठ ने कहा कि अधिकरण ने 7 जनवरी को बालोतरा के उद्योगिक क्षेत्रो बमव
साइटों का निरीक्षण करने के लिए कमिटियों का गठन किया था जिसने
ईटीपी, सीईटीपी, एचआरटी संचालन रिपोर्ट ओर
बिटुजा, बालोतरा और जसोल में रासायनिक प्रदूषण की रोकथाम की व्यवस्थाओं का जायजा लिया। इस
समिति ने 24 और 25 जनवरी को प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रिपोर्ट एनजीटी में पेश की।

रिपोर्ट में बताया गया है कि  उद्योगों के सघन निरीक्षण के बाद निष्कर्ष के रूप में सामने आया कि  बिठूजा, बालोतरा और जसोल में CETP से संबंधित अनेक समस्याए है और प्लांट का संचालन मानकों के अनुसार नही हो रहा है।
सौर वाष्पीकरण तालाब, ईटीपी में आम समस्याएं है । टेक्सटाइल उद्योग में zld तकनीक का दावा किया गया था लेकिन नही मिला। सीईटीपी ट्रस्ट zld का दवा कर रहा है लेकिन हकीकत में ऐसा कहि नही पाया गया।
विशेष तथ्य-
समिति ने जांच रिपोर्ट में बताया कि औद्योगिक अपशिष्टों के प्रतिकूल प्रभाव से संबंधित मुद्दे
और नदी के पानी की खपत , स्वास्थ्य पर और
कृषि पर रासायनिक प्रदूषण से बुरा असर पड़ा है। निरीक्षण रिपोर्ट में बताया गया है कि  बालोतरा में लूनी नदी औद्योगिक अपशिष्ट प्राप्त कर रही है(मतलब नदी में टेक्सटाइल उद्योगों से रासायनिक प्रदूषित पानी जा रहा है।) साथ ही सीवरेज का पानी भी आ रहा हूं जिसने नदी की सेहत खराब हो रही है। क्षेत्र में संचालित  सामान्य प्रवाह उपचार संयंत्र (सीईटीपी)
निर्धारित मानकों की अनुपालन नहीं कर रहे हैं, सीईटीपी से  अपशिष्टों को सीधे या परोक्ष रूप से लूणी नदी में उतारा जाता है।
(c) सौर वाष्पीकरण तालाब व
ट्रांसपिरेशन सिस्टम (एचआरटी) भी प्रभावी रूप से संचालित नही हो रहे है। दिखाने के लिए सीईटीपी ने
प्रदर्शन और भूमि के एक विशाल क्षेत्र पर कब्जा कर रखा है।
(घ) सीईटीपी के व्यक्तिगत सदस्यों के खिलाफ भी प्रदूषण फैलाने की शिकायतें है।
3. ऐसी गंभीर स्थिति में एनजीटी उचित मानती है कि राज्य सरकार  30 करोड़ के साथ
एक महीने के भीतर एक अंतरिम उपाय के रूप में जुर्माना आरपीसीबी को जमा करवाए ।  सीपीसीबी रासायनिक दुष्प्रभाव व
स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव की जांच करेगी और  पर्यावरण मुआवजा व कृषि  क्षति का आंकलन करेगी।  सरकार
मुआवजे की राशि बाद में दोषी टेक्सटाइल उद्योगों से वसूल सकती है।
एनजीटी ने राजस्थान के  स्वास्थ्य और कृषि सचिव को  निर्देशित किया कि
ग्रामीणों के स्वास्थ्य  और कृषि में हुए  नुकसान का
एक महीने के भीतर इन का आंकलन करे

लूणी नदी के कायाकल्प व सफाई के लिये
खतरनाक औद्योगिक और सीवेज कीचड़(स्लज)  को हटा दें।
नदी में   उपयुक्त स्थानों पर नदी के नहरबंदी
रिवराइन इको सिस्टम में हस्तक्षेप नही हो।
नदी में प्रदूषण डाले जाने वाले अवैध स्थानों की जाँच के लिए रणनीतिक स्थानों पर सीसीटीवी की स्थापना
और अपशिष्टों और ठोस कचरे का निस्तारण किया जाए।  सभी क्रियाओं का अनुपालन 4 महीने के भीतर किया जाएगा।
          बिगड़ रहा है भूजल का ग्राफ
-  एनजीटी ने कहा कि राज्य भूजल बोर्ड, रीको और
कलेक्टर बाड़मेर के साथ उद्योग विभाग को चाहिए कि वे
सुनिश्चित करें कि उद्योगों के लिए कितना  भूजल आपूर्ति निजी टैंकरों से हो रही है।
भगर्भिय जल की स्तिथि पता करना है। साथ ही क्षेत्र के भूगर्भ  के
पीने योग्य उपलब्धता की स्थिति पर एक रिपोर्ट करे। रासायनिक प्रदूषण  से
प्रभावित गांवों में पीने और सिंचाई के लिए जल उपलबढ़ करवाया जाए। इसके लिए एक महीना दिया जाता है
-एनजीटी ने कहा कि रासायनिक प्रदूषण  से जो कुए व बोरवेल खराब हो चुके है उन्हें टेक्सटाइल उद्योगों से खर्चा लेकर सही करवाया जाए।  उपचार / उपचार प्रणाली हो सकती है, इसके लिए  राज्य सचिव को आदेश दिया जाता है। जल संसाधन रखरखाव के लिए 4 महिने का समय दिया जा रहा है ।उप्रोक्त  कार्यों और समयबद्ध निष्पादन योजना के रूप में
दो सप्ताह की अवधि के भीतर निर्देशित और एक फाइल करेगा ओर
प्रगति के संबंध में एक महीने के भीतर अंतरिम रिपोर्त दी जानी है।
   नही दे नई अनुमतियां$$$$$
एनजीटी ने साफ कहा कि अब नई टेक्सटाइल गति विधियों के लिए एनओसी नही दी जाए , ईटीपी संचालन अनुमति में भी मापदंडों का पूरा ध्यान रखा जाए।
-उपचारित औद्योगिक अपशिष्ट का उपयोग किया जाना चाहिए(सीईटीपी से उपचारित पानी का टेक्सटाइल इकाइयो में ही उपयोग हो)। इस संबंध में  कार्य योजना, समयबद्ध
निष्पादन योजना, राज्य प्रदूषण नियंत्रण से अनुमोदित हो ओर एक महीने में रीयूज प्रणाली शुरू हो।
- राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यह सुनिश्चित करेगा कि
CETP में मानकों का अनुपालन होता है या नह ओर
प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सीईटीपी से लूनी नदी में रासायनिक प्रदूषण जा रहा है या नही। उद्योगों में ताजे व साफ भूजल का उपयोग नही होना चाहिए।
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को साम्बनद में एक महीने में रिपोर्ट देनी है।
इस पर इन निर्देशों की सहमति और अनुपालन की स्थिति
वेबसाइट, आज से एक महीने के भीतर।
- राज्य सरकार को इन आदेश की पालना आवश्यके रूप से होगी इसके लिए 10 करोड़ की गारन्टी राशि जमा करवानी होगी।

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