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Thursday, December 29, 2016

देव भाषा विद्यालयो में गुरुदेव का इंतजार,

देव भाषा विद्यालयो में गुरुदेव का इंतजार, 
बाधित हो रहा शिक्षण कार्य।
ओमप्रकाश सोनी ।
बालोतरा।
देव भाषा कही जाने वाली संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार के लिए जिले में करीब 48 विद्यालय तो खोल दिए लेकिन उनमे मांग के अनुसार शिक्षको की नियुक्ती नहीं होने के कारण देव भाषा का अध्ययन की व्यवस्था अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है। बालोतरा उपखंड व् सिवाना उपखंड में करीब दो दर्जन की तादाद में संस्कृत विद्यालय है और उन सभी विद्यालयो में एक तिहाई पद रिक्त पड़े है। संस्कृत विद्यालयो मे लंबे समय से शिक्षको के पद रिक्त पड़े है। सरकार द्वारा संस्कृत विद्यालयो की सुध नहीं लिए जाने से देव भाषा की शिक्षा देने वाले सरकारी विद्यालयो से छात्रो व् अभिभावको का मोह भंग होता जा रहा है। बालोतरा उपखंड के सभी संस्कृत शिक्षा संकुलों में संचालित संस्कृत विद्यालय एक या दो शिक्षको के साथ भगवान भरोसे चल रहे है। संस्कृत शिक्षा विभाग में शिक्षको के पद भरने की मांग पुरे प्रदेश में हो रही है पर सरकार देवभाषा संस्कृत की अनदेखी कर रही है जिससे आने वाले समय में कही संस्कृत शिक्षा प्रदान करने वाले विद्यालय अतीत बनकर नहीं रह जाये।
उपखंड के बोरावास संकुल में हालात विकट-
उपखंड के निकटवर्ती बोरावास संस्कृत शिक्षा संकुल में संचालित तीन विद्यालय भी शिक्षको की कमी से जूझ रहे है। बोरावास शिक्षा संकुल के तहत तीन संस्कृत विद्यालयो का संचालन हो रहा है। एक प्रवेशिका विद्यालय बोरावास गांव में, दूसरा उच्च प्राथमिक विद्यालय कलावा के कालमो की ढाणी तथा तीसरा  प्राथमिक विद्यालय सिमरखिया के रमजानीयो की ढाणी में संचालित हो रहा है। बोरावास प्रवेशिका विद्यालय में एक हेड मास्टर सहित छ द्वितीय श्रेणी अध्यापको व् पांच तृतीय श्रेणी के अध्यापक, एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी सहित  कुल 13 पद स्वीक्रत है। 13 पदों में से शिक्षको के 11 पद पिछले पांच वर्षो से रिक्त पड़े थे। इसी महीने इस प्रवेशिका स्कूल में दो अध्यापको की नियुक्ति हुई है। यहाँ पर 170  का नामांकन है जिसमे से 110 छात्राए है। बोरावास के आस पास सामान्य स्कूल भी नहीं है जिस कारण छात्र-छात्राए मज़बूरी में इसी विद्यालय में पढ़ने को मजबूर है।  इस प्रवेशिका स्कूल के छात्र परीक्षाओ में अच्छे अंक हासिल कर नाम रोशन कर चुके है। 170 छात्रो को पढ़ाने में चार शिक्षको को खासी दिक्कतो का सामना करना पद रहा है। कलावा की कालमो की ढाणी में संचालित उच्च प्राथमिक विद्यालय में  अध्यापको के स्वीकृत पांच पदों में से केवल एक पद भरा हुआ है। 50 छात्रो को एक शिक्षक संस्कृत सहित सभी विषयो की पढाई करवा रहा है। रमजानियो की ढाणी प्राथमिक विद्यालय में स्वीक्रत एक पद पर एक शिक्षक कार्यरत है। बोरावास संकुल में संचालित संस्कृत स्कूलो में पद रिक्त होने से सभी तीनो विद्यालयो की शिक्षण व्यवस्था चोपट हो रही है। ऐसे में छात्र तिलवाड़ा सहित बालोतरा का रुख कर रहे है और छात्राओ को स्कूल छोड़ने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
सामान्य शिक्षा विभाग में विलय की मांग-
बोरावास में संचालित संस्कृत विद्यालयो में शिक्षको की कमी से ग्रामीणों ने नोनिहालो के भविष्य के लिए संस्कृत विधालयो को सामान्य शिक्षा में विलय करने की मांग की है। सामान्य शिक्षा विभाग में विलय होने पर विद्यालयो में शिक्षको की नियुक्ती हो जायेगी और अध्यापन कार्य सुचारू हो सकता है। राजस्व मंत्री अमराराम चौधरी ने करीब पांच महीने पहले बोरावास गांव में बोरावास के प्रवेशिका विद्यालय को समय शिक्षा विभाग में विलय करने का आश्वाशन दिया था लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
इनका कहना है-
बोरावास के संस्कृत विद्यालय में सरकार शिक्षको की नियुक्ती नहीं हो सकती तो सरकार को इस विद्यालय को समान्य शिक्षा विभाग में विलय कर देना चाहिए अन्यथा छात्रो का भविष्य अंधकार मय है।
कालूराम माली, निवासी बोरावास
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संस्कृत विद्यालय में अध्यापको की भर्ती करवाने के लिए जयपुर जाकर मुख्य मंत्री से मांग की जायेगी। सामान्य शिक्षा विभाग में विलय के लिए आंदोलन किया जायेगा।
कानाराम निवासी बोरावास।



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