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Monday, September 14, 2015

नाहटा अस्पताल में डॉक्टर हीं नहीं तो कैसे होगा इलाज ?

महिला गायनिक का पद खाली,प्रसूताएं व महिला मरीज भटकने को मजबूर 
डॉक्टरों के कुल 36 पद,कार्यरत मात्र 17 डॉक्टर,19 पद रिक्त
                  भगाराम पंवार (9887119003)
बालोतरा। उपखंड क्षेत्र के एकमात्र रैफरल अस्पताल में पिछले लंबे समय से रिक्त पड़े पदों पर डॉक्टरों की नियुक्ती नहीं होने का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। बरस बीतते चले गए अस्पताल की सुविधाओं में इजाफा होता गया बैड बढ गए संसाधन बढ़ गए लेकिन डॉक्टरों की कमी के कारण अस्पताल में मरीजों की समस्याएं जस की तस है। राजकीय नाहटा अस्पताल में करीबन 36 डॉक्टरों के पद स्वीकृत है लेकिन 2007 से लेकर अब तक मात्र 17 डॉक्टर हीं कार्यरत है और 19 डॉक्टरों के पद रिक्त पड़े है। उपखंड के सबसे बड़े हॉस्पिटल में पद रिक्तता के चलते अस्पताल को चलाना अब पीएमओं के लिए भारी पड़ रहा है। कम डॉक्टरों की वजह से दिन और रात में अलग-अलग शिफ्ट में काम चलाना पड़ रहा है। इसके अलावा भी कई पद स्वीकृत है लेकिन उसमें भी कई पद रिक्त पड़े है ऐसे में मरीजों की असुविधाओं के साथ-साथ पूरा इलाज व चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिल पा रही  है। मरीज आस लेकर अस्पताल की चौखट पर आता है परंतु डॉक्टर नहीं होने से उनकों निजी अस्पतालों की और रूख करना पड़ता है। गरीब लोगों व आम लोगों के लिए निजी हॉस्पिटलों में इलाज करवाना भारी पड़ रहा है।
डॉक्टरों के अलावा नर्सिंग स्टॉफ के पद भी खाली
नाहटा अस्पताल में सिर्फ डॉक्टरों की पद रिक्तता हीं नहीं इसके अलावा नर्सिंग स्टॉफ के अलग-अलग पद भी खाली पड़़े है। इनकी पद रिक्तता के चलते मरीजों को चिकित्सा सुविधाएं समय पर नहीं मिल पा रहीं है। मौजूद स्टॉफ से हीं दिन और रात अलग-अलग शिफ्ट में जैसे तैसे कर अस्पताल में काम चलाया जा रहा है। परंतु यह नहीं के बराबर है ऐेसे में अब मरीजों का इस अस्पताल से मोहभंग होता जा रहा है।
गायनिक डॉक्टर नहीं,प्रसूताएं व महिला मरीज परेशान
उपखंड का सबसे बड़ा रैफरल अस्पताल होने के बावजूद एक भी महिला गायनिक डॉक्टर की नियुक्ति नहीं होने अस्पताल में आने वाली महिला मरीजों व प्रसूताओं को सबसे बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उन्हे राज्य सरकार की योजनाओं का फायदा भी नहीं मिल पाता है ऐसे में उन्हे मजबूरन निजी अस्पतालों में जाना पड़ता है। प्रसव के दौरान प्रसूताओं की समय पर देखभाल भी नहंी हो पाती है डिलीवरी के दौरान अस्पताल में कार्यरत नर्सेंज को हीं उनका ख्याल रखना पड़ रहा है।
अब तो राज से हीं आस,मंत्रीजी कुछ तो करों
राज्य में भाजपा की सरकार है और पचपदरा विधानसभा से विधायक अमराराम चौधरी अब राज्य में राजस्व राज्य मंत्री भी है। यहा से चौधरी 5 बार विधायक बन चुके है और तीन बार मंत्री पद मिल चुके है। यहा की जनता उन्हे अपनों की नजरों से देखती है और गरीब व्यक्ति उनके यहीं उम्मीद रखता है कि वह अपने घर से अस्पताल रोता हुआ पहुंचे और तब अस्पताल से निकले तो वह हंसी खुशी अपने घर पहुंचे। राजस्व मंत्री अमराराम चौधरी अब इस मामले में हस्तक्षेप करें और यहां खाली पड़े रिक्त पदों को तुरंत प्रभाव से भरे तो मरीजों को राहत मिल सकती है और राज्य सरकार योजनाओं का भी लाभ उन्हे मिल सकता है।
इनका कहना है 
हम तो कई बार लिख चुके है,लेकिन नहीं हो रहीं है लेकिन डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं की जा रहीं है। अस्पताल में रिक्त पड़े पदों के कारण हमें भी जैसे तैसे कर काम चलाना पड़ रहा है अगर समय पर डॉक्टरों के खाली पद भरे जाए तो हम मरीजों को बेहतर सुविधाएं दे सकते है।
डॉ बलराजसिंह पंवार,पीएमओं राजकीय नाहटा चिकित्सालय बालोतरा।
                                         

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