आज एनजीटी की मुख्य पीठ में हुई सुनवाई,
प्रदूषण नियंत्रण मंडल व सीईटीपी की कार्यवाहियों से एनजीटी असंतुष्ट,
फिर होगी पांच स्तरीय सघन जांच,
अलग अलग कमिश्नर करेंगे जांचे,
फिर गिर सकती है टेक्सटाइल उद्योग पर "बंद"की गाज
दिल्ली/बालोतरा
बालोतरा के देश विख्यात टेक्सटाइल उद्योगों से निकलने वाले रासायनिक प्रदूषण की रोकथाम में सीईटीपी व जिला प्रबोधन कमिटी के असफल रहने का खामियाजा फिर से टेक्सटाइल उद्योगों को भुगतना पड़ सकता है। टेक्सटाइल उद्योगों से सीधे से लूनी नदी में रासायनिक प्रदूषण डाले जाने को लेकर माननीय राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा समय समय पर अलग अलग विशेषज्ञ द्वारा करवाई गई जांचों में हमेशा लूनी नदी में प्रदूषण का मंजर होना बताया गया है। एनजीटी हर पेशी में सुधार के निर्देश देती है लेकिन बालोतरा में उन आदेशो की कोई पालना नजर नही आती है। ऐसे में राष्ट्रीय हरित अधिकरण की टेक्सटाइल उद्योगों पर गाज गिर जाए तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी। जानकर मानते है कि माननीय राष्ट्रीय हरित अधिकरण में बार बार सीईटीपी द्वारा गलत तथ्य प्रस्तुत किये जाने से उद्योग खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने का काम कर रहे है।
उच्च स्तरीय जांच और फिर पेश होगी रिपोर्ट-
आज दिल्ली की मुख्य पीठ में बालोतरा के रासायनिक प्रदूषण की रोकथाम को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई। रासायनिक प्रदूषण की रोकथाम व मरूगंगा लूनी नदी को बचाने की मुहिम को लेकर कार्य कर रही प्रदूषण निवारन एवम पर्यावरण संरक्षन समिति की मुहिम अब रंग लाने लगी है। प्रसाशन व प्रदूषण नियंत्रण मंडल की प्रदूषण नही होने की पोले खुल रही है। समिति के प्रवक्ता कानाराम साईं ने बताया कि टेक्सटाइल प्रदूषण ने मरूगंगा लूनी नदी को बर्बाद कर दिया है और नदी को जहरीली बना दिया है।लूनी नदी के रासायनिक हो जाने से नदी के किनारे रहने वाले हजारों किसान बेरोजगार हो गए है। समिति ने एनजीटी के फैसलों को किसान हितों में बताते हुए अब आर पार की लड़ाई लड़ने की ठान ली है। याचिका पर अगली सुनवाई 15फरवरी को होगी।
ईटीपी आधारित इकाइयो की होगी विशेष जांच-
एनजीटी ने बालोतरा में संचालित ईटीपी आधारित इकाइयो की जांच के विशेष निर्देश दिए है। एनजीटी ने कहा कि ईटीपी की आड़ में टेक्सटाइल इकाइयां खुले में रासायनिक प्रदूषण बहा रही है इस बाबत शिकायत मिल रही है। प्रदूषण निवारण एवम पर्यावरण संरक्षण समिति के अध्यक्ष तुलसाराम चौधरी ने बताया कि ईटीपी के नाम पर केवल लोहे के बक्शे लगे है फिर भी प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारी आंखे मूंदे हुए है जिससे प्रदूषण बढ़ रहा है ।
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