नहीं होती कार्रवाई,कॉस्मेटिक से बीमारी का बढ़ा खतरा
शहर में इन दिनों खुले आम कॉस्मेटिक एक्ट की धज्जियां उड़ा कर नकली कॉस्मेटिक्स का उपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है। इससे लोगों को समय से पहले ही बाल पकने, चेहरे पर सफेद दाग तथा चर्म रोग से संबंधित कई बीमारियां हो रही हैं। दुकानदारों और ब्यूटी पार्लरों द्वारा मापदंड का ख्याल नहीं रखा जाता। पैसे कमाने की धुन में वह इन कॉस्मेटिक वस्तुओं का उपयोग धड़ल्ले से कर रहे हैं। इनमें भी कुछ ऐसे सामान हैं, जिसे प्राय: सभी दुकानों में बेचा जा रहा है। जो बिना फार्मासिस्ट की जांच के उपयोग में नहीं लाना है। लेकिन शायद इन नियमों के बारे में न तो दुकानदारों को जानकारी है और न ही जिम्मेवार लोगों को। इसकी वजह से बिना मापदंड के ही दुकानदार और ब्यूटी पार्लर वाले पाउडर, शैम्पू, कोल्ड क्रीम, फेस वॉश, स्नो पाउडर जैसी कॉस्मेटिक वस्तुएं उपभोक्ताओं को दे रहे हैं। इसके इस्तेमाल से त्वचा संबंधी बीमारी हो सकती है, लेकिन लोग इससे अजनान हैं।
मापदंड निर्धारित हैं
इन कॉस्मेटिक वस्तुओं को रखने के लिए भी मापदंड निर्धारित हैं। इस तय किए गए मापदंड के अनुसार कॉस्मेटिक का कंपोजीशन तथा उसे निर्धारित तापमान में ही रखना चाहिए। चूंकि इन कॉस्मेटिक वस्तुओं का निर्माण केमिकल से होता है, इसलिए इनके रख रखाव का मापदंड भी ड्रग एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 के तहत ही तय किया गया है। जिसके तहत उसके तापमान के अनुरूप ही इन कॉस्मेटिक वस्तुओं को रखने का प्रावधान है। इसके अलावा इनकॉस्मेटिक के मैन्यूफैक्चरिंग तथा एक्सपायरी डेट का भी ख्याल रखना चाहिए।
कोलकाता से आता है माल
राजधानी की मुख्य सडक़ों और गलियों में बिकने वाले कॉस्मेटिक प्रॉडक्ट्स दिल्ली और कोलकाता से लाए जाते हैं। ब्रांडेड कंपनियों की पाउडर की कीमत जहां 100 रुपए होती है, वहीं इसकी कीमत 10-15 रुपए होती है। सस्ते के कारण लोग इसका इस्तेमाल करते हैं। यही वजह है कि जगह-जगह ठेले में सौंदर्य प्रसाधन के सामान बेचे जा रहे हैं। वैसे इसकी सबसे ज्यादा खपत ग्रामीण इलाकों में होती है।
शहर में इन दिनों खुले आम कॉस्मेटिक एक्ट की धज्जियां उड़ा कर नकली कॉस्मेटिक्स का उपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है। इससे लोगों को समय से पहले ही बाल पकने, चेहरे पर सफेद दाग तथा चर्म रोग से संबंधित कई बीमारियां हो रही हैं। दुकानदारों और ब्यूटी पार्लरों द्वारा मापदंड का ख्याल नहीं रखा जाता। पैसे कमाने की धुन में वह इन कॉस्मेटिक वस्तुओं का उपयोग धड़ल्ले से कर रहे हैं। इनमें भी कुछ ऐसे सामान हैं, जिसे प्राय: सभी दुकानों में बेचा जा रहा है। जो बिना फार्मासिस्ट की जांच के उपयोग में नहीं लाना है। लेकिन शायद इन नियमों के बारे में न तो दुकानदारों को जानकारी है और न ही जिम्मेवार लोगों को। इसकी वजह से बिना मापदंड के ही दुकानदार और ब्यूटी पार्लर वाले पाउडर, शैम्पू, कोल्ड क्रीम, फेस वॉश, स्नो पाउडर जैसी कॉस्मेटिक वस्तुएं उपभोक्ताओं को दे रहे हैं। इसके इस्तेमाल से त्वचा संबंधी बीमारी हो सकती है, लेकिन लोग इससे अजनान हैं।
मापदंड निर्धारित हैं
इन कॉस्मेटिक वस्तुओं को रखने के लिए भी मापदंड निर्धारित हैं। इस तय किए गए मापदंड के अनुसार कॉस्मेटिक का कंपोजीशन तथा उसे निर्धारित तापमान में ही रखना चाहिए। चूंकि इन कॉस्मेटिक वस्तुओं का निर्माण केमिकल से होता है, इसलिए इनके रख रखाव का मापदंड भी ड्रग एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 के तहत ही तय किया गया है। जिसके तहत उसके तापमान के अनुरूप ही इन कॉस्मेटिक वस्तुओं को रखने का प्रावधान है। इसके अलावा इनकॉस्मेटिक के मैन्यूफैक्चरिंग तथा एक्सपायरी डेट का भी ख्याल रखना चाहिए।
कोलकाता से आता है माल
राजधानी की मुख्य सडक़ों और गलियों में बिकने वाले कॉस्मेटिक प्रॉडक्ट्स दिल्ली और कोलकाता से लाए जाते हैं। ब्रांडेड कंपनियों की पाउडर की कीमत जहां 100 रुपए होती है, वहीं इसकी कीमत 10-15 रुपए होती है। सस्ते के कारण लोग इसका इस्तेमाल करते हैं। यही वजह है कि जगह-जगह ठेले में सौंदर्य प्रसाधन के सामान बेचे जा रहे हैं। वैसे इसकी सबसे ज्यादा खपत ग्रामीण इलाकों में होती है।